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Sawan 2024: इस स्थान पर शिव-पार्वती ने लिए थे सात फेरे, आज भी मौजूद हैं उसके साक्ष्य

आज यानी 12 अगस्त को सावन का चौथा सोमवार है। सावन मास का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है। इस दिन भक्त भगवान शिव के लिए कठिन उपवास रखते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे भाव के साथ पूजा करने से जीवन की समस्त बाधाओं का अंत होता है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 12 Aug 2024 03:05 PM (IST)
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Triyuginarayan Temple: त्रियुगीनारायण धाम की महत्वपूर्ण बातें -

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का महीना हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस महीने में भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। इस साल श्रावण मास में कुल 5 सोमवार पड़ रहे हैं, जो बेहद शुभ माना जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आज यानी 12 अगस्त को सावन का चौथा सोमवार है।

वहीं, 19 अगस्त को सावन (Sawan 2024) का आखिरी सोमवार पड़ रहा है, जब इतनी शुभ अवधि चल रही है, तो आइए आज शिव जी के सबसे महत्वपूर्ण धाम (Triyuginarayan Temple) में से एक बारे में जानते हैं।

यहां स्थित है त्रियुगीनारायण

दरअसल, हम भगवान शिव के उस पवित्र धाम की बात कर रहे हैं, जहां शिव-पार्वती ने साथ फेरे लिए थे। इस धाम को त्रियुगीनारायण के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ ब्लॉक में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना त्रेता युग में हुई थी।

आज भी जल रहा है अग्नि कुंड

देवी पार्वती राजा हिमावत की पुत्री थी, उन्होंने कठिन तप से भगवान शिव को प्रसन्न कर अपने जीवनसाथी के रूप में पाणिग्रहण किया था। त्रियुगीनारायण वही स्थान है, जहां पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, जिसके साक्ष्य के रूप में वहां पर कई सारी चीजें आज भी मौजूद हैं, जिनमें से एक विवाह के दौरान जलाया गया अग्नि कुंड भी था। इस दिव्य विवाह में भगवान विष्णु माता पार्वती के भाई बनकर पहुंचे थे और ब्रह्मा जी पुरोहित बने थे।

इस मंदिर को लेकर काफी सारी मान्यताएं हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां दर्शन मात्र से कुंवारी कन्याओं की शीघ्र विवाह की इच्छा पूर्ण हो जाती है। साथ ही मनचाहा वर प्राप्त होता है।

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